Dr Avinash Dubey Best Nephrologist

Kidney Biopsy

किडनी बायोप्सी क्यों जरूरी है?

किडनी की बायोप्सी एक महत्वपूर्ण परीक्षण है, जिसे किडनी के रोगों के निदान के लिए उपयोग किया जाता है। कुछ किडनी के रोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रारंभिक जाँच पेशाब विशेषण, सीरम क्रीएटिनिन और किडनी का अल्ट्रासाउंड है।

किडनी बायोप्सी क्यों जरुरी है?

किडनी के अनेक रोगों का कारण जानने के लिए सुई की मदद से किडनी में से पतले डोरे जैसा टुकड़ा निकाल कर और माइक्रोस्कोप से उसका डीस्टोपैथोलॉजीकल जाँच करने को किडनी बायोप्सी कहते है। किडनी की बायोप्सी की सलाह कब दी जाती है? किडनी के कुछ रोगों में विस्तृत पूछताछ, शारीरिक परीक्षण और साधारण परीक्षण आदि भी रोगों के उचित निदान करने में असमर्थ हो जाते हैं। ऐसे मरीजों में किडनी बायोप्सी के द्वारा जो अतिरिक्त जानकारी प्राप्त होती है वह सही निदान करने में सहायक हो सकती है। किडनी बायोप्सी कैसे सहायक होती है? किडनी बायोप्सी से कुछ अस्पष्ट किडनी रोगों की पहचान की जा सकती है। इस जानकारी के साथ किडनी रोग विशेषज्ञ, उपचार के लिए प्रभावी रणनीति तैयार करने में सक्षम होता है। वह मरीज और उसके परिवार को बीमारी की गंभीरता और प्रकार से भी अवगत करा सकता है।

किडनी बायोप्सी करने के लिए किस तकनीक का उपयोग किया जाता है?

किडनी की बायोप्सी का सबसे आम तरीके से एक सुई के जरिए डोली है। इसमें एक खोखली सुई, त्वचा से होती हुई किडनी में डाल दी जाती है एवं किडनी का एक छोटा टुकड़ा निकाल लिया जाता है। एक और बहुत कम इस्तेमाल की जाने वाली विधि है जिसे खुली बायोप्सी कहते है इसमें सर्जरी की आवश्यकता होती है और इसे ऑपरेशन कक्षा में ही किया जाता है।

किडनी बायोप्सी करने के लिए किस तकनीक का उपयोग किया जाता है?

* किडनी बायोप्सी के लिए मरीज को अस्पताल में भर्ती किया जाता है।

* बायोप्सी के पहले सुनिश्चित कर लेना चाहिए की रक्तचाप एवं रक्त में थक्का बनने की क्रिया सामान्य है या नहीं। खून को पतला करनेवाली दवा जैसे एस्पीरीन आदि बायोप्सी करने के दो सप्ताह पूर्व बन्द करना जरूरी है।

* किडनी की स्थिति का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड या सी. टी. स्कैन किया जाता है। जिससे किडनी की बायोप्सी के लिए सही जगह निर्धारित की जा सकती है जहाँ से सुई अंदर डाली जा सके। यह परीक्षण मरीज को बिना बेढोश किए किया जाता है। जबकि छोटे बच्चों में बायोप्सी बेहोश करने के बाद की जाती है। बायोप्सी के दौरान मरीज को पेट के बल लिटाकर पेट के निचे तकिया रखा जाता है। बायोप्सी करने के लिए पीठ में निश्चित जगड, सोनोग्राफी की मदद से तय की जाती है। पीठ में पसली के नीचे, कमर के स्नायु के पास बायोप्सी के लिये उपयुक्त स्थान होता है।. इस जगह को दवा से साफ करने के बाद दर्दशामक इंजेक्शन देकर सुन्न कर दिया जाता है। विशेष प्रकार की सुई (बायोप्सी नीडल) की मदद से किडनी में से पतले धागे जैसे 2-3 टुकडे लेकर उसे हिस्टोपैथोलॉजी जाँच के लिए पैथोलॉजिस्ट के पास भेजा जाता है बायोप्सी के पश्चात् रक्तस्त्राव रोकने के लिए बायोप्सी की जगह पर कुछ समय दबाव डाला जाता है। मरीज को अस्पताल में डी आराम करने की सलाह दी जाती है। अधिकतर मरीजों को दूसरे दिन घर जाने की अनुमति दे दी जाती है। बायोप्सी करने के बाद मरीज को 2-4 सप्ताह तक मेहनत वाला काम नहीं करने की हिदायत की जाती है। खासकर वजनवाली वस्तु को नहीं उठाने की सलाह दी जाती है।

किडनी बायोप्सी करने में क्या किसी भी प्रकार का जोखिम होता है?

किसी भी शल्य प्रक्रिया की तरह, किडनी की बायोप्सी के बाद कुछ रोगियों में कुछ जटिलताएँ हो सकती है बायोप्सी की जगह पर दर्द होना और एक दो बार लाल रंग का पेशाब होना कोई असाधारण बात नहीं है। यह प्राय अपने आप ही बंद हो जाता है। कुछ मामलों में जहाँ रक्तस्त्राव जारी रहता है वहाँ खून चढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है बहुत दुर्लभ परिस्थितियों में यदि अनियंत्रित गंभीर रक्तस्त्राव हो रहा हो तब सर्जरी से किडनी को निकालने की आवश्यकता हो सकती है। कई बार किडनी से प्राप्त ऊतक जाँच के लिए पर्याप्त नहीं होता है (बीस में से एक)। ऐसी परिस्थिति में पुनः बायोप्सी कराने की आवश्यकता हो सकती है। किडनी बायोप्सी की जरूरत निर्भर करती है कि किडनी में क्या समस्या है। इसके जरिए किडनी संबंधी समस्याओं का निदान किया जा सकता है। इसलिए, अपने डॉक्टर से सलाह लें और वे आपकी स्थिति का मूल्यांकन करके इसके बारे में सलाह दे सकते हैं। 10 साल से अधिक का अनुभव एवम डॉक्टर्स सम्मान 2023,अनुभवी और प्रसिद्ध, नेफ्रोलॉजिस्ट (किडनी रोग विषेशज्ञ) डॉ अविनाश कुमार दुबे जी को सम्मानित किया गया, किडनी से संबंधित किसी भी समस्या के लिए सलाह लें, शरीर में सूजन | पेशाब में प्रोटीन आना | पेशाब में खून आना | उल्टी होना |जी मतलाना | पेशाब कम होना | बार-बार पेशाब होना | शुगर और ब्लड प्रेशर से किडनी में परेशानी | किडनी स्टोन | क्रोनिक किडनी डिजीज | यूरिन इन्फेक्शन | नेफ्रोटिक सिंड्रोम, अपॉइंटमेंट बुक करें डॉ अविनाश कुमार दुबे MBBS (Gold Medalist), MD (Medicine), DM (Nephrology) JIPMER Consultant & Interventional Nephrologist

किडनी बायोप्सी जरूरी है या नहीं ?
#जरूरी है: सही समय पर सही डायरेक्शन में किडनी का इलाज.
# जरूरी है: किडनी के कई रोगों के निदान के लिए किडनी बायोप्सी अतिआवश्यक जाँच है।
# जरूरी है: पता लगाने में की एक्चुअल में किस प्रकार की किडनी की बीमारी है
# होता क्या है? किडनी की बायोप्सी, एक पतली खोखली सुई के इस्तेमाल से की जाती है जिसमें मरीज पूरी तरह होश में रहता है।
# गलत धारणा: बायोप्सी की जाँच केवल केन्सर के निदान के लिये की जाती है
किडनी बायोप्सी की जरूरत निर्भर करती है कि किडनी में क्या समस्या है। इसके जरिए किडनी संबंधी समस्याओं का निदान किया जा सकता है। इसलिए, अपने डॉक्टर से सलाह लें और वे आपकी स्थिति का मूल्यांकन करके इसके बारे में सलाह दे सकते हैं।
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